Saturday, November 26, 2011

हिंदी संगोष्ठी


शिलांग में एक दिवसीय हिंदी संगोष्ठी आयोजित

केंद्रीय हिंदी निदेशालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली एवं पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलांग के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय हिंदी संगोष्ठी का आयोजन गत दिनांक 15 नवम्बर को सीमा सुरक्षा बल के प्रशिक्षण कक्ष में हिंदी साहित्य सम्मेलन, उज्जैन की प्रांतीय अध्यक्ष डॉ.आनन्द मंगल सिंह कुलश्रेष्ठ की अध्यक्षता में सफलतापूर्वक किया गया। इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि श्री मनोहर लाल बाथम, महानिरीक्षक, सीमा सुरक्षा बल सिलचर (असम) एवं शिलांग (मेघालय) ने अपने संबोधन में कहा कि हिंदी के विकास के साथ-साथ पूर्वोत्तर भारत की भाषाओं और बोलियों के विकास के लिए भी हमें सोचना चाहिए। क्षेत्रीय भाषाओं के साहित्य का अनुवाद हिंदी में किया जाना चाहिए। क्षेत्रीय भाषाओं में साहित्य खूब लिखा जा रहा है लेकिन उनका प्रकाशन नहीं हो पा रहा है। अतः उन भाषाओं के साहित्य का अनुवाद और प्रकाशन भी ज़रूरी है। मुख्य अतिथि ने इस बात की प्रशंसा की कि सीमा सुरक्षा बल के परिसर में इस संगोष्ठी का आयोजन एक महत्वपूर्ण प्रयास है। मुख्य अतिथि महोदय ने अपना एक अनुभव बताते हुए कहा कि पूर्वोत्तर भारत के लोग पहले हिंदी सिखते हैं बाद में संगीत सिखते हैं। यह हमारे लिए गौरव की बात है। मेघालय सीमांत मुख्यालय के प महानिरीक्षक श्री अशोक कुमार शर्मा ने अपना उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदी के विकास में हम सबको आगे आना चाहिए तथा अपने कार्य हिंदी भाषा में किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि हम हिंदी के विकास बात जिस क्षेत्र में कर रहें हैं हमें उस क्षेत्र के लोगों की रुचि का ध्यान अवश्य देना चाहिए। इस तरह की संगोष्ठियों में अधिक से अधिक हिंदीतर भाषी लोगों को शामिल करने की आवश्यकता है। विशिष्ट अतिथि, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभाग की अध्यक्ष प्रो. प्रेमलता ने कहा कि हिंदीतर भाषी प्रदेशों के बारे में हिंदी विषयक मेरा जो भ्रम था वह ज यहाँ आकर टूट गया है। यहां के लोग इतनी अच्छी हिंदी में बात कर रहें हैं सुनकर बहुत प्रसन्नता हुई है।इस संगोष्ठी में इतने लोगों को देखकर यह पता चलता है कि यहां के लोग हिंदी में कितनी रुचि रखते हैं।

अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ. कुलश्रेष्ठ ने कहा कि पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी का प्रतिवेदन पढ़ने के बाद मुझे पता चला कि मेघालय ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वोत्तर भारत में अकादमी हिंदी के विकास में लिए कितना कार्य कर रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि यहाँ का जो मौलिक लेखन है उसका अनुवाद हिंदी भाषा में किया जाना चाहिए ताकि देश के अन्य भागों के लोग यहां के साहित्य से परिचित हो सकें। इस सत्र का शुभारंभ श्रीमती उर्मिला कुलश्रेष्ठ द्वारा प्रस्तुत वंदना से हुआ। सभी अतिथियों का सम्मान फुलाम गमझा पहना कर किया गया तथा अकादमी के अध्यक्ष श्री बिमल बजाज ने स्वागत भाषण दिया। इस सत्र का सफल संचालन अकादमी के सचिव (मानद) डॉ. अकेलाभाइ ने किया।

दूसरा सत्र सांस्कृतिक कार्यक्रम का था जिसका संचालन श्रीमती सरला मिश्र ने किया। कुमारी रूवी सिन्हा तथा बीएसएफ सीनियर सेकण्डरी स्कूल की छात्राओं ने नृत्य एवं संगीत प्रसतुत किया। श्री रामचरण बट और श्रीमती उर्मिला कुलश्रेष्ठ ने विभिन्न भाषाओं में गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मुग्ध कर दिया।

तीसरे सत्र का संचालन श्री अशोक कुमार शर्मा ने किया। उस सत्र में एक दर्जन से अधिक कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया। श्रीमती सुष्मिता दास, श्री विमलकांत, डॉ. ए. के. सिंह, श्री आर. के. मिश्रा, श्रीमती पुष्पलता राठौर, श्रीमती सरला मिश्रा, श्री बी. के. सिंह, श्री रामचरण बट, डॉ. आनन्द मंगल सिंह कुलश्रेष्ठ, श्री ए. के. शर्मा, श्रीमती हरकिरत कलसी, श्री मनोहर लाल बाथम, कैप्टैन दिनेशा भारद्वाज सिंह, डॉ. अकेलाभाइ, श्री कँवलजीत सिंह, बबीता जैन आदि कवियों ने अपनी-अपनी कविताओं का पाठ किया। संचालक श्री शर्मा ने अपने कुशन संचालन के साथ-साथ अपनी स्वरचित कविताओं से श्रोताओं का दिल जीत लिया। अंत में सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने अपने गीत एवं संगीत से श्रोताओं अंत तक बाँधे रखा। संगोष्ठी का समापन रात्रि-भोज के बाद किया गया।

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