Saturday, August 6, 2016

सम्मेलन 2016 की कुछ तस्वीरें


















































प्रविष्टियाँ आमंत्रित 2017 के लिए

प्रविष्टियाँ आमंत्रित

अखिल भारतीय लेखक एवं पर्यटक मिलन शिविर
कहानी लेखन महाविद्यालय एवं शुभ तारिका मासिक पत्रिका, अंबाला छावनी (हरियाणा) के संस्थापक-निदेशक, नव-लेखकों के मार्गदर्शक डॉ. महाराज कृष्ण जैन की 16वीं पुण्यतिथि के अवसर पर पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी द्वारा 26 मई 2017 से 28 मई 2017 तक तीन दिवसीय अखिल भारतीय लेखक एवं पर्यटक मिलन  शिविर का आयोजन मेघालय की राजधानी शिलांग में किया जा रहा है। इस अवसर पर पर्यटन के साथ-साथ विचार गोष्ठी, काव्य गोष्ठी, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि का आयोजन किया जाएगा तथा डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान,  केशरदेव गिनिया देवी बजाज स्मृति सम्मान, जीवनराम मुंगी देवी गोयनका स्मृति सम्मान एवं जे. एन. बावरी स्मृति सम्मान भी लेखक-कवि तथा हिंदी के क्षेत्र में कार्य करने वाले कर्मचारी एवं अधिकारी, समाज सेवी को उनके योगदान के आधार पर प्रदान किया जाएगा। अपने योगदान का विवरण, पूरा पता, किसी एक प्रकाशित रचना की फोटो कॉपी, प्रकाशित पुस्तक (यदि हो), डाक से, किसी कूरियर से नहीं, एवं पंजीकरण शुल्क 200/- नकद  आगामी 31 दिसम्बर2016 तक सचिव, पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, पो. रिन्जा, शिलांग 793006 (मेघालय) Secretary, Purvottar Hindi Academy, Po. Rynjah, Shillong 793006 (Meghalaya) के पते पर भेजिए।  मोबाइल-09774286215 hindiacademy1@gmail.com  http://purvottarhindiacademy.blogspot.com
           



Saturday, June 4, 2016

शिलांग (मेघालय) में त्रि-दिवसीय राष्ट्रीय हिंदी विकास सम्मेलन का भव्य आयोजन
पूर्वोत्तर भारत में नागरी लिपि एवं राष्ट्रीय भाषाओं के
विकास में जुटी है पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी
उत्तर पूर्वी परिषद, शिलांग के सहयोग से पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी के द्वारा दिनांक 27 मई 2016 से 29 मई 2016 तक श्री राजस्थान विश्राम भवन, लुकियर रोड, गाड़ीखाना, शिलांग में पूर्वोत्तर भारत में राष्ट्रीय भाषाओं एवं नागरी लिपि के प्रोन्नयन विषय पर त्रि- दिवसीय राष्ट्रीय हिंदी विकास सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। इस तरह का आयोजन अकादमी द्वारा प्रतिवर्ष मई-जून महीने में सन् 2008 से किया जा रहा है। इसके पूर्व 2002 में भी अखिल भारतीय लेखक शिविर का आयोजन इस अकादमी द्वारा किया गया था।
उद्घाटन सत्र
दिनांक 27 जून को दोपहर 3.00 बजे इस सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि श्री शंकरलाल जी गोयनका, समाजसेवी तथा जीवनराम मुंगी देवी पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस सत्र में मुख्य अतिथि के अतिरिक्त अति विशिष्ट अतिथि के रूप में जे. एन. बावरी ट्रस्ट के निदेशक श्री पवन बावरी, नेशनल इन्स्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, गुवाहाटी के प्रबंधक (राजभाषा) श्री जे. पी. शर्मा, वैश्य परिवार के संपादक श्री श्रीहरिवाणी, स्थानीय समाजसेवी एवं अकादमी के संरक्षक श्री पुरुषोत्तम दास जी चोखानी, मौलाना आजाद नेशनल उर्दु यूनिवर्सिटि हैदराबाद, तैलंगाना के सहायक प्रोफेसर डा. पठान रहीम खान, पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी के अध्यक्ष श्री बिमल बजाज मंच पर उपस्थित थे। इस सत्र को दौरान अकादमी द्वारा प्रकाशित पत्रिका पूर्वोत्तर वार्ता एवं कहानी लेखन महाविद्यालय, अंबाला छावनी द्वारा प्रकाशित शुभ तारिका के डा. महाराज कृष्ण जैन विशेषांक सहित वैश्य परिवार पत्रिका, साहित्य समीर दस्तक मासिक भोपाल, नव-निकष मासिक कानपुर, गीत गुजन मासिक, अनन्तिम मासिक, श्री रण काफले की कहानी-संग्रह नानी की कहानियाँ, डा. पठान रहीम खान की दो पुस्तकें भीष्म साहनी का कहानी-साहित्य- युग संदर्भ और भीष्म साहनी का कहानी साहित्य-कथ्य एवं शिल्प, विशाल के. सी. की पुस्तक शहीद, श्रीमती अरुणा अग्रवाल की पुस्तक तकाजा है वक्त का और श्री कन्हैया लाल गुप्त सलिल की दो पुस्तकें चिन्तन की चिनगारियाँ और गौशाला का लोकार्पण मंचस्थ अतिथियों ने किया।  इस सत्र का सफल संचालन किया डॉ. अरुणा कुमारी उपाध्याय ने। इस समारोह का शुभारंभ श्रीमती जयमति नार्जरी और श्री अभिषेक सिंह राठौर द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना और भजन के साथ हुआ। श्री बिमल बजाज ने सभी अतिथियों, लेखकों, प्रतिभागियों का स्वागत किया। इस सत्र के दौरान राजकुमार जैन राजन फाउण्डेशन, आकोला, चित्तौड़गढ़ की ओर से श्री बिमल बजाज को पूर्वोत्तर भारत में हिंदी के विकास के लिए सराहनीय कार्य हेतु अम्बालाल हींगड़ स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। इस सत्र में सभी मंचस्थ अतिथियों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये। इस सत्र का समापन अकादमी के सचिव डा. अकेलाभाइ के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
काव्य संध्या
शाम 6-30 बजे से काव्य संध्या का आयोजन पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी के संस्थापक सचिव डा. अकेलाभाइ की अध्यक्षता में किया गया। जिसमें विभिन्न भाषाओं के कवियों ने अपनी स्वरचित कविताओं का पाठ किया। इस सत्र का संचालन श्रीमती श्रुति सिन्हा (आगरा), श्री सुरेन्द्र गुप्त सीकर (कानपुर), श्रीमती कीर्ति श्रीवास्तव (भोपाल), श्रीमती जान मोहम्मद (मेघालय), श्री राजकुमार जैन राजन (आकोला) और डा. अकेलाभाइ ने किया। देश के 15 राज्यों के कुल 49 कवियों ने अपनी-अपनी कविताओं का पाठ किया। इस काव्य संध्या में कुल 5 सत्र थे तथा समस्त कवियों को मंच प्रदान किया गया और उन्हें गामोछा (खदा) पहना कर सम्मानित भी किया गया।  आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डा. अकेलाभाइ ने किया। सुश्री बबीता जैन और मंजु लामा ने सभी कवियों का स्वागत गमोछा (खदा) पहना कर किया।
राष्ट्रीय संगोष्ठी
दिनांक 28 मई 2016 को पूर्वाह्न 10.30 बजे से डा. लक्ष्मी कान्त पाण्डेय, वरिष्ठ साहित्यकार एवं हिंदी सेवी, संपादक नव निकष हिंदी मासिक, कानपुर, उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता में पूर्वोत्तर भारत में राष्ट्रीय भाषाओं और नागरी लिपि का प्रोन्नयन विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आये 17 विशेषज्ञों ने अपने-अपने आलेख पढ़े। इस सत्र का सफल संचालन डा. संगीता सक्सेना, जयपुर, राजस्थान ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में नेशनल इंस्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, गुवाहाटी के प्रबंधक (राजभाषा) श्री जे. पी. शर्मा, अति विशिष्ट अतिथि के रूप में  डा. अमी आधार निडर (आगरा), भयवाद के जनक श्री देश सुब्बा और अतिथि के रूप में श्री हरिवाणी (कानपुर), श्री पुरुषोत्तम दास चोखानी (शिलांग) मंच पर उपस्थित थे। डा. सारिका कालरा, डा. चेतना उपाध्याय, श्रीमती श्रुति सिन्हा, डा. पठान रहीम खान, डा. कौशल किशोर कौशलेन्द्र, डा. प्रभा गुप्ता, श्रीमती सुमिता धर बसु ठाकुर, डा. अशोक वसंतराव मर्डे, श्री रण काफले, श्री देश सुब्बा, श्रीमती कीर्ति श्रीवास्तव, श्री राजकुमार जैन राजन, श्री संजय शर्मा, डा. प्रमिला अवस्थी, श्री श्रीहरि वाणी और पूर्वोत्तर सेवा, आकाशवाणी, शिलांग (मेघालय) के कार्यक्रम अधिकारी श्री प्रतुल जोशी ने अपने-अपने आलेख प्रस्तुत किये। डा. लक्ष्मी कान्त पाण्डेय ने अपने अध्यक्षीय भाषण में सभी विद्वानों के आलेखों की प्रशंसा करते हुए उनकी समीक्षा प्रस्तुत की। अकादमी के इस प्रयास की सहारना करते हुए बताया कि इस तरह के सम्मेलनों के आयोजन से पूर्वोत्तर भारत ही नहीं बल्कि पूरे देश में हिंदी का विकास होगा। हिंदी के विकास के लिए सभी हिंदी सेवियों को एक मंच पर लाना होगा तथा हमें इस कार्य के लिए भरपूर प्रोत्साहन देने का भी आवश्यकता है।  इस संत्र के लिए डा. अकेलाभाइ ने आभार व्यक्त किया।
अखिल भारतीय लेखक सम्मान समारोह
दोपहर 3-00 बजे से अखिल भारतीय लेखक सम्मान समारोह के विशिष्ट अतिथि रूप के रूप में श्री मानस रंजन महापात्रा, निदेशक (आईपीआर), उत्तर-पूर्वी परिषद्, शिलांग, श्री अभय चौधरी, कार्यपालक निदेशक, पावर ग्रिड कॉरेपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, प्रो. हेमराज मीणा दिवाकर, क्षेत्रीय निदेशक, केन्द्रीय हिंदी संस्थान, गुवाहाटी, प्रो. विद्याशंकर शुक्ल, क्षेत्रीय निदेशक, केन्द्रीय हिंदी संस्थान, शिलांग, वरिष्ठ साहित्यकार डा. अनिता पण्डा, नेशनल इंस्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, गुवाहाटी के प्रबंधक (राजभाषा) श्री जे. पी. शर्मा, अकादमी के अध्यक्ष श्री बिमल बजाज मंच पर उपस्थित थे। इस सत्र का सफल संचालन डॉ. अरुणा उपाध्याय ने किया। इस सत्र में श्री केशव चन्द्र सकलानी सुमन, देहरादून, उत्तराखण्ड, डा. लक्ष्मी कान्त पाण्डेय, कानपुर, उत्तर प्रदेश, डा. प्रमिला अवस्थी, कानपुर, उत्तर प्रदेश, आचार्य सूर्य प्रसाद शर्मा निशिहर, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, ई. आशा शर्मा, बीकानेर, राजस्थान, डा. सारिका कालरा, नई दिल्ली, डा. अखिलेश पालरिया, सरवाड़, अजमेर, राजस्थान, श्रीमती कीर्ति शर्मा, हनुमानगढ़, राजस्थान, डा. संगीता सक्सेना, जयपुर, राजस्थान, श्री राधेश्याम भारतीय, जयपुर, राजस्थान, श्रीमती सुधा चौहान, इन्दौर, म. प्र., श्री हेमचन्द्र सकलानी, देहरादून, उत्तराखण्ड, श्रीमती साधना उपाध्याय, जबलपुर, म. प्र., श्रीमती रत्ना ओझा रत्न, जबलपुर, म. प्र., डा. अरुणा अग्रवाल,  मण्डला, म. प्र., डा. चेतना उपाध्याय, अजमेर, राजस्थान, श्रीमती श्रुति सिन्हा, आगरा, उत्तर प्रदेश, डा. कौशल किशोर मिश्र कौशलेन्द्र, बस्तर, छतीसगढ़, श्रीमती शारदा गुप्ता, इन्दौर, म. प्र., डा. पठान रहीम खान, हैदराबाद, तेलंगाना, श्रीमती रेनु सिरोया कुमुदिनी, उदयपुर राजस्थान, डा. किंग गुनु घर्ती, आईजॉल, मिजोरम, श्री कन्हैया लाल गुप्त सलिल, कानपुर, उ. प्र., श्री अभिषेक सिंह राठौर, कानपुर, उ. प्र., डा. सुषमा सिंह, आगरा, उ. प्र., डा. प्रभा गुप्ता, आगरा, उ. प्र., श्रीमती रमा वर्मा श्याम, आगरा उ. प्र., श्रीमती सुमिता धर बसु ठाकुर, अभय नगर, त्रिपुरा, श्री उमेश शर्मा, हरिद्वार, उत्तराखण्ड, श्री मदन मोहन शंखधर, इलाहाबाद, उ. प्र., डा. विजय प्रताप श्रीवास्तव, देवरिया, उ. प्र., डा. अशोक वसंतराव मर्डे, सोलापूर, महाराष्ट्र, श्रीमती शुभांगी सागर, सोलापूर, महाराष्ट्र, डा. पोल कार्तिक वज्रपाल, तुलजापुर, महाराष्ट्र, श्रीमती शिंदे सुनिता, तुलजापुर, महाराष्ट्र, श्री रामलाल खटीक, चितौरगढ़, राजस्थान, श्री संजय शर्मा, नीमच, म. प्र., श्रीमती शारदा शर्मा, नीमच, म. प्र., श्री सुरेश चन्द्र शर्मा,  प्रतापगढ़, राजस्थान, श्रीमती शकुन्तला शर्मा, प्रतापगढ़, राजस्थान, श्रीमती सुमन शेखर, हिम्मत नगर, गुजरात,  हेम राय, शोणितपुर, असम, श्री सुरेश गुप्ता राजहंस, कानपुर, उ. प्र., श्रीमती शीतल बाजपेई, कानपुर, उ. प्र., श्री अजित सिंह राठौर, कानपुर, उ. प्र., श्री सागर सापकोटा, शोणितपुर, असम, प्रा. विनोदकुमार विलासराव वायचल वेदार्य, महा., श्री देश सुब्बा, हाँगकाँग, श्रीमती सुमेश्वरी सुधी बरदोलोई, मोरिगाँव, आसाम, श्री रण काफले, कर्बीएंगलांग, आसाम, श्रीमती जयमती नार्जरी, कर्बीएंगलांग, आसाम, डा अमी आधार निडर, आगरा, उ. प्र., श्री मानस रंजन महापात्र. शिलांग, मेघालय, श्री रजनीकांत शुक्ला, दिल्ली, श्री मनीष जैन, दिल्ली, प्रा. डा. येल्लूरे एम. ए., उस्मानाबाद, महाराष्ट्र, श्रीमती रोजी देवी भुइँया, असम, श्रीमती गीता लिम्बू, शिलांग, मेघालय, डा. हेमराज मीणा, गुवाहाटी, असम, श्रीमती संगीता शर्मा, पुलिस बाजार, शिलांग, श्रीमती सुस्मिता दास, शिलांग और श्री प्रमोद रामावत प्रमोद, नीमच सीटी, म. प्र. को उनके समस्त लेखन एवं साहित्यधर्मिता के लिए डा. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान प्रदान किया गया। इस वर्ष का केशरदेव गिनिया देवी बजाज स्मृति सम्मान श्री सुरेन्द्र गुप्त सीकर, कानपुर, उ. प्र. डा. अम्बूजा एन. मलखेडकर, गुलबर्गा, कर्नाटक, श्री राजकुमार जैन राजन’, अकोला, राजस्थान, श्रीमती कीर्ति श्रीवास्तव, भोपाल, म. प्र., श्री विशाल के. सी., विश्वनाथ चारिआली, असम, श्री सुरेन्द्र कुमार जायसवाल, कानपुर, श्री जे. पी. शर्मा, गुवाहाटी, असम को हिंदी भाषा, साहित्य एवं नागरी लिपि के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया। जीवनराम मुंगी देवी गोयनका स्मृति सम्मान भारतीय संस्कृति एवं सामाजिक विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों हेतु श्री संजय अग्रवाल, रङ्पो, सिक्किम और श्री शरद चन्द्र बाजपेई, कानपुर, उ. प्र. को प्रदान किया गया। जे. एन. बावरी स्मृति सम्मान 2016, श्री रमेश मिश्र आनंद, कानपुर, उ. प्र., श्री रामस्वरूप सिंह चन्देल, कानपुर, उ. प्र, श्री सौमित्रम, गुवाहाटी को जन कल्याण एवं समामजिक विकास के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए प्रदान किया गया।
सांस्कृतिक संध्या
सायं 6-30 बजे से सांस्कृतिक संध्या का सफल संचालन श्री संजय अग्रवाल ने किया। इस सत्र के मुख्य अतिथि थे श्री देश सुब्बा। इस नृत्य एवं संगीत समागम में, असम प्रदेश का लोकप्रिय बिहु लोक नृत्य, बागरुम्बा लोक नृत्य, आधुनिक गीतों पर आधारित नृत्य, असमीया लोकगीत, भजन, आधुनिक गीत आदि विभिन्न कलाकारों ने प्रस्तुत किया। इस संगीत और नृत्य के रंगारंग कार्यक्रम में श्रीमती जयमती नार्जारी, श्री मिनोती सेनापति, श्री सुरेन्द्र गुप्ता, श्री कन्हैया लाल सलिल, श्रीमती शारदा गुप्ता, श्रीमती सुरेश गुप्त राजहंस, श्रीमती सुमेश्वरी सुद्धी बरदोलाई, साधना उपाध्याय, सुमिता धर बसु ठाकुर, कुमारी अपूर्वा चौमाल रमा वर्मा श्याम, रोजी देवी भुईँयाँ, श्री अभिषेक सिंह राठौर आदि कलाकारों का सराहनीय योगदान रहा। इन सभी कलाकारों को अकादमी की ओर से मुख्य अतिथि ने मेडल एवं स्मृति चिह्न प्रदान किया।
पर्यटन एवं वनभोज
रविवार 29 मई 2016 को कुल प्रतिभागी लेखकों ने बस द्वारा मतिलांग पार्क, मौसमाई गुफा, थांगखरांग पार्क आदि स्थानों  का भ्रमण किया। बस का सफर काफी मनोरंजक था। प्रतिभागियों ने रास्ते भर गीत और संगीत से इस यात्रा को सुखद और मनोरंजन-पूर्ण बना दिया। जिन लोगों ने पहली बार इस सम्मेलन में आये उनके लिए यह पर्यटन कौतूहल भरा था और सभी अपने-अपने कैमरे में क़ैद करने की कोशिश कर रहे थे। दोपहर के भोजन का आनंद सभी लेखकों ने थांगख्राँग पार्क में लिया।  इस तरह चेरापूँजी की बांगला देश की सीमा देखने का आनन्द भी लेखको ने खूब उठाया।
आभार
इस सम्मेलन के आयोजन में उत्तर-पूर्वी परिषद्, केशरदेव गिनिया देवी बजाज चैरिटेबुल ट्रस्ट, जीवनराम मुंगी देवी गोयनका पब्लिक चैरिटेबुल ट्रस्ट, जे. एन. बावरी चैरिटेबल ट्रस्ट, महाबीर जनकल्याण निधि, नेशनल इन्स्योरेन्स (कम्पनी) इण्डिया लिमिटेड, मेसर्स केशरीचंद जयसुखलाल, मेसर्स सीताराम ओमप्रकाश, राजकुमार जैन राजन फाउण्डेशन, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड, वैश्य परिवार पत्रिका, स्टार सिमेन्ट, अजमेरा मार्बल्स, कहानी लेखन महाविद्यालय, असम राइफल्स महानिदेशालय, सीमा सुरक्षा बल, श्री मारवाड़ी पंचायत आदि संस्थाओं के सहयोग और समर्थन के लिए आयोजन समिति ने आभार प्रकट करते हुए अपनी कृतज्ञता व्यक्त की।


*********(नोट- यह आलेख प्रकाशनार्थ आयोजन समिति द्वारा जारी किया गया । संपादक बंधु इसे उचित स्थान देकर हमें आभार प्रकट करने का अवसर दें ।)

त्रि-दिवसीय राष्ट्रीय हिंदी विकास सम्मेलन का भव्य आयोजन

शिलांग (मेघालय) में त्रि-दिवसीय राष्ट्रीय हिंदी विकास सम्मेलन का भव्य आयोजन
पूर्वोत्तर भारत में नागरी लिपि एवं राष्ट्रीय भाषाओं के
विकास में जुटी है पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी
उत्तर पूर्वी परिषद, शिलांग के सहयोग से पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी के द्वारा दिनांक 27 मई 2016 से 29 मई 2016 तक श्री राजस्थान विश्राम भवन, लुकियर रोड, गाड़ीखाना, शिलांग में पूर्वोत्तर भारत में राष्ट्रीय भाषाओं एवं नागरी लिपि के प्रोन्नयन विषय पर त्रि- दिवसीय राष्ट्रीय हिंदी विकास सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। इस तरह का आयोजन अकादमी द्वारा प्रतिवर्ष मई-जून महीने में सन् 2008 से किया जा रहा है। इसके पूर्व 2002 में भी अखिल भारतीय लेखक शिविर का आयोजन इस अकादमी द्वारा किया गया था।
उद्घाटन सत्र
दिनांक 27 जून को दोपहर 3.00 बजे इस सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि श्री शंकरलाल जी गोयनका, समाजसेवी तथा जीवनराम मुंगी देवी पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस सत्र में मुख्य अतिथि के अतिरिक्त अति विशिष्ट अतिथि के रूप में जे. एन. बावरी ट्रस्ट के निदेशक श्री पवन बावरी, नेशनल इन्स्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, गुवाहाटी के प्रबंधक (राजभाषा) श्री जे. पी. शर्मा, वैश्य परिवार के संपादक श्री श्रीहरिवाणी, स्थानीय समाजसेवी एवं अकादमी के संरक्षक श्री पुरुषोत्तम दास जी चोखानी, मौलाना आजाद नेशनल उर्दु यूनिवर्सिटि हैदराबाद, तैलंगाना के सहायक प्रोफेसर डा. पठान रहीम खान, पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी के अध्यक्ष श्री बिमल बजाज मंच पर उपस्थित थे। इस सत्र को दौरान अकादमी द्वारा प्रकाशित पत्रिका पूर्वोत्तर वार्ता एवं कहानी लेखन महाविद्यालय, अंबाला छावनी द्वारा प्रकाशित शुभ तारिका के डा. महाराज कृष्ण जैन विशेषांक सहित वैश्य परिवार पत्रिका, साहित्य समीर दस्तक मासिक भोपाल, नव-निकष मासिक कानपुर, गीत गुजन मासिक, अनन्तिम मासिक, श्री रण काफले की कहानी-संग्रह नानी की कहानियाँ, डा. पठान रहीम खान की दो पुस्तकें भीष्म साहनी का कहानी-साहित्य- युग संदर्भ और भीष्म साहनी का कहानी साहित्य-कथ्य एवं शिल्प, विशाल के. सी. की पुस्तक शहीद, श्रीमती अरुणा अग्रवाल की पुस्तक तकाजा है वक्त का और श्री कन्हैया लाल गुप्त सलिल की दो पुस्तकें चिन्तन की चिनगारियाँ और गौशाला का लोकार्पण मंचस्थ अतिथियों ने किया।  इस सत्र का सफल संचालन किया डॉ. अरुणा कुमारी उपाध्याय ने। इस समारोह का शुभारंभ श्रीमती जयमति नार्जरी और श्री अभिषेक सिंह राठौर द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना और भजन के साथ हुआ। श्री बिमल बजाज ने सभी अतिथियों, लेखकों, प्रतिभागियों का स्वागत किया। इस सत्र के दौरान राजकुमार जैन राजन फाउण्डेशन, आकोला, चित्तौड़गढ़ की ओर से श्री बिमल बजाज को पूर्वोत्तर भारत में हिंदी के विकास के लिए सराहनीय कार्य हेतु अम्बालाल हींगड़ स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। इस सत्र में सभी मंचस्थ अतिथियों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये। इस सत्र का समापन अकादमी के सचिव डा. अकेलाभाइ के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
काव्य संध्या
शाम 6-30 बजे से काव्य संध्या का आयोजन पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी के संस्थापक सचिव डा. अकेलाभाइ की अध्यक्षता में किया गया। जिसमें विभिन्न भाषाओं के कवियों ने अपनी स्वरचित कविताओं का पाठ किया। इस सत्र का संचालन श्रीमती श्रुति सिन्हा (आगरा), श्री सुरेन्द्र गुप्त सीकर (कानपुर), श्रीमती कीर्ति श्रीवास्तव (भोपाल), श्रीमती जान मोहम्मद (मेघालय), श्री राजकुमार जैन राजन (आकोला) और डा. अकेलाभाइ ने किया। देश के 15 राज्यों के कुल 49 कवियों ने अपनी-अपनी कविताओं का पाठ किया। इस काव्य संध्या में कुल 5 सत्र थे तथा समस्त कवियों को मंच प्रदान किया गया और उन्हें गामोछा (खदा) पहना कर सम्मानित भी किया गया।  आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डा. अकेलाभाइ ने किया। सुश्री बबीता जैन और मंजु लामा ने सभी कवियों का स्वागत गमोछा (खदा) पहना कर किया।
राष्ट्रीय संगोष्ठी
दिनांक 28 मई 2016 को पूर्वाह्न 10.30 बजे से डा. लक्ष्मी कान्त पाण्डेय, वरिष्ठ साहित्यकार एवं हिंदी सेवी, संपादक नव निकष हिंदी मासिक, कानपुर, उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता में पूर्वोत्तर भारत में राष्ट्रीय भाषाओं और नागरी लिपि का प्रोन्नयन विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आये 17 विशेषज्ञों ने अपने-अपने आलेख पढ़े। इस सत्र का सफल संचालन डा. संगीता सक्सेना, जयपुर, राजस्थान ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में नेशनल इंस्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, गुवाहाटी के प्रबंधक (राजभाषा) श्री जे. पी. शर्मा, अति विशिष्ट अतिथि के रूप में  डा. अमी आधार निडर (आगरा), भयवाद के जनक श्री देश सुब्बा और अतिथि के रूप में श्री हरिवाणी (कानपुर), श्री पुरुषोत्तम दास चोखानी (शिलांग) मंच पर उपस्थित थे। डा. सारिका कालरा, डा. चेतना उपाध्याय, श्रीमती श्रुति सिन्हा, डा. पठान रहीम खान, डा. कौशल किशोर कौशलेन्द्र, डा. प्रभा गुप्ता, श्रीमती सुमिता धर बसु ठाकुर, डा. अशोक वसंतराव मर्डे, श्री रण काफले, श्री देश सुब्बा, श्रीमती कीर्ति श्रीवास्तव, श्री राजकुमार जैन राजन, श्री संजय शर्मा, डा. प्रमिला अवस्थी, श्री श्रीहरि वाणी और पूर्वोत्तर सेवा, आकाशवाणी, शिलांग (मेघालय) के कार्यक्रम अधिकारी श्री प्रतुल जोशी ने अपने-अपने आलेख प्रस्तुत किये। डा. लक्ष्मी कान्त पाण्डेय ने अपने अध्यक्षीय भाषण में सभी विद्वानों के आलेखों की प्रशंसा करते हुए उनकी समीक्षा प्रस्तुत की। अकादमी के इस प्रयास की सहारना करते हुए बताया कि इस तरह के सम्मेलनों के आयोजन से पूर्वोत्तर भारत ही नहीं बल्कि पूरे देश में हिंदी का विकास होगा। हिंदी के विकास के लिए सभी हिंदी सेवियों को एक मंच पर लाना होगा तथा हमें इस कार्य के लिए भरपूर प्रोत्साहन देने का भी आवश्यकता है।  इस संत्र के लिए डा. अकेलाभाइ ने आभार व्यक्त किया।
अखिल भारतीय लेखक सम्मान समारोह
दोपहर 3-00 बजे से अखिल भारतीय लेखक सम्मान समारोह के विशिष्ट अतिथि रूप के रूप में श्री मानस रंजन महापात्रा, निदेशक (आईपीआर), उत्तर-पूर्वी परिषद्, शिलांग, श्री अभय चौधरी, कार्यपालक निदेशक, पावर ग्रिड कॉरेपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, प्रो. हेमराज मीणा दिवाकर, क्षेत्रीय निदेशक, केन्द्रीय हिंदी संस्थान, गुवाहाटी, प्रो. विद्याशंकर शुक्ल, क्षेत्रीय निदेशक, केन्द्रीय हिंदी संस्थान, शिलांग, वरिष्ठ साहित्यकार डा. अनिता पण्डा, नेशनल इंस्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, गुवाहाटी के प्रबंधक (राजभाषा) श्री जे. पी. शर्मा, अकादमी के अध्यक्ष श्री बिमल बजाज मंच पर उपस्थित थे। इस सत्र का सफल संचालन डॉ. अरुणा उपाध्याय ने किया। इस सत्र में श्री केशव चन्द्र सकलानी सुमन, देहरादून, उत्तराखण्ड, डा. लक्ष्मी कान्त पाण्डेय, कानपुर, उत्तर प्रदेश, डा. प्रमिला अवस्थी, कानपुर, उत्तर प्रदेश, आचार्य सूर्य प्रसाद शर्मा निशिहर, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, ई. आशा शर्मा, बीकानेर, राजस्थान, डा. सारिका कालरा, नई दिल्ली, डा. अखिलेश पालरिया, सरवाड़, अजमेर, राजस्थान, श्रीमती कीर्ति शर्मा, हनुमानगढ़, राजस्थान, डा. संगीता सक्सेना, जयपुर, राजस्थान, श्री राधेश्याम भारतीय, जयपुर, राजस्थान, श्रीमती सुधा चौहान, इन्दौर, म. प्र., श्री हेमचन्द्र सकलानी, देहरादून, उत्तराखण्ड, श्रीमती साधना उपाध्याय, जबलपुर, म. प्र., श्रीमती रत्ना ओझा रत्न, जबलपुर, म. प्र., डा. अरुणा अग्रवाल,  मण्डला, म. प्र., डा. चेतना उपाध्याय, अजमेर, राजस्थान, श्रीमती श्रुति सिन्हा, आगरा, उत्तर प्रदेश, डा. कौशल किशोर मिश्र कौशलेन्द्र, बस्तर, छतीसगढ़, श्रीमती शारदा गुप्ता, इन्दौर, म. प्र., डा. पठान रहीम खान, हैदराबाद, तेलंगाना, श्रीमती रेनु सिरोया कुमुदिनी, उदयपुर राजस्थान, डा. किंग गुनु घर्ती, आईजॉल, मिजोरम, श्री कन्हैया लाल गुप्त सलिल, कानपुर, उ. प्र., श्री अभिषेक सिंह राठौर, कानपुर, उ. प्र., डा. सुषमा सिंह, आगरा, उ. प्र., डा. प्रभा गुप्ता, आगरा, उ. प्र., श्रीमती रमा वर्मा श्याम, आगरा उ. प्र., श्रीमती सुमिता धर बसु ठाकुर, अभय नगर, त्रिपुरा, श्री उमेश शर्मा, हरिद्वार, उत्तराखण्ड, श्री मदन मोहन शंखधर, इलाहाबाद, उ. प्र., डा. विजय प्रताप श्रीवास्तव, देवरिया, उ. प्र., डा. अशोक वसंतराव मर्डे, सोलापूर, महाराष्ट्र, श्रीमती शुभांगी सागर, सोलापूर, महाराष्ट्र, डा. पोल कार्तिक वज्रपाल, तुलजापुर, महाराष्ट्र, श्रीमती शिंदे सुनिता, तुलजापुर, महाराष्ट्र, श्री रामलाल खटीक, चितौरगढ़, राजस्थान, श्री संजय शर्मा, नीमच, म. प्र., श्रीमती शारदा शर्मा, नीमच, म. प्र., श्री सुरेश चन्द्र शर्मा,  प्रतापगढ़, राजस्थान, श्रीमती शकुन्तला शर्मा, प्रतापगढ़, राजस्थान, श्रीमती सुमन शेखर, हिम्मत नगर, गुजरात,  हेम राय, शोणितपुर, असम, श्री सुरेश गुप्ता राजहंस, कानपुर, उ. प्र., श्रीमती शीतल बाजपेई, कानपुर, उ. प्र., श्री अजित सिंह राठौर, कानपुर, उ. प्र., श्री सागर सापकोटा, शोणितपुर, असम, प्रा. विनोदकुमार विलासराव वायचल वेदार्य, महा., श्री देश सुब्बा, हाँगकाँग, श्रीमती सुमेश्वरी सुधी बरदोलोई, मोरिगाँव, आसाम, श्री रण काफले, कर्बीएंगलांग, आसाम, श्रीमती जयमती नार्जरी, कर्बीएंगलांग, आसाम, डा अमी आधार निडर, आगरा, उ. प्र., श्री मानस रंजन महापात्र. शिलांग, मेघालय, श्री रजनीकांत शुक्ला, दिल्ली, श्री मनीष जैन, दिल्ली, प्रा. डा. येल्लूरे एम. ए., उस्मानाबाद, महाराष्ट्र, श्रीमती रोजी देवी भुइँया, असम, श्रीमती गीता लिम्बू, शिलांग, मेघालय, डा. हेमराज मीणा, गुवाहाटी, असम, श्रीमती संगीता शर्मा, पुलिस बाजार, शिलांग, श्रीमती सुस्मिता दास, शिलांग और श्री प्रमोद रामावत प्रमोद, नीमच सीटी, म. प्र. को उनके समस्त लेखन एवं साहित्यधर्मिता के लिए डा. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान प्रदान किया गया। इस वर्ष का केशरदेव गिनिया देवी बजाज स्मृति सम्मान श्री सुरेन्द्र गुप्त सीकर, कानपुर, उ. प्र. डा. अम्बूजा एन. मलखेडकर, गुलबर्गा, कर्नाटक, श्री राजकुमार जैन राजन’, अकोला, राजस्थान, श्रीमती कीर्ति श्रीवास्तव, भोपाल, म. प्र., श्री विशाल के. सी., विश्वनाथ चारिआली, असम, श्री सुरेन्द्र कुमार जायसवाल, कानपुर, श्री जे. पी. शर्मा, गुवाहाटी, असम को हिंदी भाषा, साहित्य एवं नागरी लिपि के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया। जीवनराम मुंगी देवी गोयनका स्मृति सम्मान भारतीय संस्कृति एवं सामाजिक विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों हेतु श्री संजय अग्रवाल, रङ्पो, सिक्किम और श्री शरद चन्द्र बाजपेई, कानपुर, उ. प्र. को प्रदान किया गया। जे. एन. बावरी स्मृति सम्मान 2016, श्री रमेश मिश्र आनंद, कानपुर, उ. प्र., श्री रामस्वरूप सिंह चन्देल, कानपुर, उ. प्र, श्री सौमित्रम, गुवाहाटी को जन कल्याण एवं समामजिक विकास के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए प्रदान किया गया।
सांस्कृतिक संध्या
सायं 6-30 बजे से सांस्कृतिक संध्या का सफल संचालन श्री संजय अग्रवाल ने किया। इस सत्र के मुख्य अतिथि थे श्री देश सुब्बा। इस नृत्य एवं संगीत समागम में, असम प्रदेश का लोकप्रिय बिहु लोक नृत्य, बागरुम्बा लोक नृत्य, आधुनिक गीतों पर आधारित नृत्य, असमीया लोकगीत, भजन, आधुनिक गीत आदि विभिन्न कलाकारों ने प्रस्तुत किया। इस संगीत और नृत्य के रंगारंग कार्यक्रम में श्रीमती जयमती नार्जारी, श्री मिनोती सेनापति, श्री सुरेन्द्र गुप्ता, श्री कन्हैया लाल सलिल, श्रीमती शारदा गुप्ता, श्रीमती सुरेश गुप्त राजहंस, श्रीमती सुमेश्वरी सुद्धी बरदोलाई, साधना उपाध्याय, सुमिता धर बसु ठाकुर, कुमारी अपूर्वा चौमाल रमा वर्मा श्याम, रोजी देवी भुईँयाँ, श्री अभिषेक सिंह राठौर आदि कलाकारों का सराहनीय योगदान रहा। इन सभी कलाकारों को अकादमी की ओर से मुख्य अतिथि ने मेडल एवं स्मृति चिह्न प्रदान किया।
पर्यटन एवं वनभोज
रविवार 29 मई 2016 को कुल प्रतिभागी लेखकों ने बस द्वारा मतिलांग पार्क, मौसमाई गुफा, थांगखरांग पार्क आदि स्थानों  का भ्रमण किया। बस का सफर काफी मनोरंजक था। प्रतिभागियों ने रास्ते भर गीत और संगीत से इस यात्रा को सुखद और मनोरंजन-पूर्ण बना दिया। जिन लोगों ने पहली बार इस सम्मेलन में आये उनके लिए यह पर्यटन कौतूहल भरा था और सभी अपने-अपने कैमरे में क़ैद करने की कोशिश कर रहे थे। दोपहर के भोजन का आनंद सभी लेखकों ने थांगख्राँग पार्क में लिया।  इस तरह चेरापूँजी की बांगला देश की सीमा देखने का आनन्द भी लेखको ने खूब उठाया।
आभार
इस सम्मेलन के आयोजन में उत्तर-पूर्वी परिषद्, केशरदेव गिनिया देवी बजाज चैरिटेबुल ट्रस्ट, जीवनराम मुंगी देवी गोयनका पब्लिक चैरिटेबुल ट्रस्ट, जे. एन. बावरी चैरिटेबल ट्रस्ट, महाबीर जनकल्याण निधि, नेशनल इन्स्योरेन्स (कम्पनी) इण्डिया लिमिटेड, मेसर्स केशरीचंद जयसुखलाल, मेसर्स सीताराम ओमप्रकाश, राजकुमार जैन राजन फाउण्डेशन, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड, वैश्य परिवार पत्रिका, स्टार सिमेन्ट, अजमेरा मार्बल्स, कहानी लेखन महाविद्यालय, असम राइफल्स महानिदेशालय, सीमा सुरक्षा बल, श्री मारवाड़ी पंचायत आदि संस्थाओं के सहयोग और समर्थन के लिए आयोजन समिति ने आभार प्रकट करते हुए अपनी कृतज्ञता व्यक्त की।


*********(नोट- यह आलेख प्रकाशनार्थ आयोजन समिति द्वारा जारी किया गया । संपादक बंधु इसे उचित स्थान देकर हमें आभार प्रकट करने का अवसर दें ।)

Wednesday, May 18, 2016

अखिल भारतीय लेखक मिलन शिविर का औचित्य

मेरी भी सुनो ....
अखिल भारतीय लेखक मिलन शिविर का औचित्य
1961 ई. में स्थापित कहानी लेखन महाविद्यालय की स्थापना डा. महाराज कृष्ण जैन द्वारा अंबाला छावनी (हरियाणा) में की गयी। मैं अपने लेखक मित्र श्री मदन मोहन श्रीवास्तव की सलाह पर 1976 में इस संस्था से जुड़ा था। श्री श्रीवास्तव जी उन दिनों सीमा सुरक्षा बल में कार्यरत थे। उनके चाचा जी श्री भोला नाथ भावुक एक लोकप्रिय कवि थे और उनका बेटा मेरे साथ ही प्रधान हिंदी का छात्र था। मैं कभी-कभी उनके घर चला जाता था। वहीं श्री श्रीवास्तव जी से मुलाकात हुई थी। अचानक कहानी लेखन महाविद्यालय की चर्चा होने लगी। कहानी लेखन महाविद्याल को मैं 1972 से ही साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता, धर्मयुग आदि पत्रिकाओं के माध्यम से जानता था। श्रीवास्तव जी की सलाह पर मैं कहानी लेखन महाविद्यालय से जुड़ गया था। डा. जैन का देहावसान 5 जून 2001 को हुआ और उस वर्ष शिविर का आयोजन नहीं हो पाया। फिर इसके बाद का विवरण मैंने पूर्वोत्तर वार्ता के पिछले अंक में लिखा है।  
आज के इस अंक में मैं इस बात को स्पष्ट करना चाहता हूं कि .यह लेखक मिलन शिविर है, जिसमें हम अपनी कुछ कहते हैं और दूसरे की बहुत कुछ सुनते हैं। जैसा कि मैं पहले भी लिख चुका हूँ कि इसके शिलांग में आयोजन का एक मात्र उद्देश्य यही था कि डा जैन जिस शिविर के आयोजन की शुरुआत की थी वह चलता रहे और कहानी लेखन महाविद्यालय के सदस्य इसमें शामिल होते रहें। लेकिन महाविद्याल के सदस्यों के अतिरिक्त भारी संख्या में वैसे लोग भी इस शिविर से जुड़ने लगो तो डा. जैन से प्रभावित हुए। तब इस शिविर का नाम बदलकर हमने राष्ट्रीय हिंदी विकास सम्मेलन रख दिया। कोई कार्य बिना अर्थ के नहीं सम्पन्न नहीं हो सकता । अतः पहले की तरह परस्पर सहयोग पर यह सम्मेलन होने लगा। आरंभिक वर्षों में सरकारी सहयोग मिला, बाद में हमारे मित्रों ने इसे साहित्यिक समारोह घोषित करवा दिया और सरकारी सहयोग रोकवा दिया। लेकिन इससे कुछ अंतर नहीं हुआ। यह शिविर हर साल विधिवत होता रहा। लगभग हर साल ही कुछ न कुछ रुकावटें लोग खड़ी करते हैं। इसे रोकने का खूब प्रयास किया जाता है। शिलांग जैसे हिंदीतर भाषी प्रदेश में इतने बड़े कार्यक्रम का होना सभी कोई आश्चर्य करता है।   
इस शिविर का आयोजन मात्र डा महाराज कृष्ण जैन की स्मृति में प्रतिवर्ष किया जाता है। डा. जैन इसकी शुरुआत 1992 में की थी।  सन् 2002 से शिलांग में किया जा रहा है। यह स्पष्ट है कि इसमें जो लेखक, कवि, पत्रकार या हिंदी प्रेमी शामिल होते हैं उनका आर्थिक सहयोग रहता है और उनके बल पर ही हम इस शिविर को सफल बना पाते हैं। इस शिविर में शामिल होने से कई नवोदित लेखकों को काफी प्रोत्साहन मिला है। लिखने की प्रेरणा मिली है। जो लेखन छोड़ देने के बाद इस शिविर में शामिल हुए हैं , वे फिर से लिखना शुरू कर दिये। लिखने के लिए वातावरण का होना बहुत आवश्यक होता है और वह वातावरण इस शिविर में आने के बाद नवोदित लेखकों को अवश्य मिलता है।
रही सम्मान की बात तो इस शिविर का मुख्य उद्देश्य लेखकों को सम्मानित करना नहीं था, परंतु जिस स्थान पर इस शिविर का आयोजन होता था वहाँ के एक स्थानीय सदस्य लेखक को कहानी लेखन महाविद्यालय द्वारा सम्मानित किया जाता था। परंतु पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी के उद्देश्य में यह निहित है कि हिंदी के क्षेत्र में कार्य करने वाले वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानित किया जाएगा। उसी उद्देश्य की पूर्ति इस शिविर में की जाती है। यह सम्मान इस शिविर का उद्देश्य नहीं है। लेखकों में लेखन की प्रवृत्ति को जागरुक करना और परस्पर मेल-मिलाप ही इस शिविर का उद्देश्य माना जाना चाहिए। पूर्वोत्तर के कई लेखक इस शिविर से जुड़ कर लेखन  के क्षेत्र में दक्षता हासिल की है और इसका हमें गर्व है। इतर पूर्वोत्तर भारत के जो लेखक इस शिविर में आते हैं वे यहाँ की रीति-रिवाज, संस्कृति से अवगत हो कर अपने लेखन का विषय बनाते हैं, जो पहले नहीं होता था।
प्रतिवर्ष 80-90 लेखकों का इस शिविर में शामिल होना इस शिविर की सार्थकता को दर्शाता है।  इस शिविर के आयोजन में जिन विरोधी परिस्थितियों से हमें जुझना पडता है उसकी चर्चा मैं यहाँ आवश्यक नहीं समझता लेकिन इतना अवश्य ही निवेदन करने का मन कर रहा है कि जिस गली में आपको जाना नहीं हो उस गली का पता पूछ कर आप अपना और पता बताने वाले का समय नष्ट न करे। कोई भी कार्य बिना अर्थ का नहीं होता है। आज के लेखक ही हिंदी का प्रचारक भी है। वह प्रचार भी करता है, अपना सहयोग देकर अपनी रचनाओं को पाठकों तक पहुँचाता भी है। लेखन से कितना आय होता है, कितना पारिश्रमिक मिलता है यह लेखक ही जानता है। यह बात स्थापित लेखकों की भले न हो परंतु कितने प्रतिशत लेखक हैं जिनके साथ हम न्याय कर पाते हैं। क्या उनकी इच्छा नहीं होती कि उन्हें भी कोई सम्मान मिले, वे भी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय मंचों पर अपनी कविताओं का पाठ करें, भले ही उनकी कविताएं स्तरीय न हो तब भी इच्छा तो होती है न। हम इसी इच्छा की पूर्ति के लिए सभी को मंच देते हैं और सभी को मंच संचालन और उदघोषणा करने का अवसर देते हैं। वर्षा के लिए विश्व प्रसिद्ध चेरापूँजी और बादलों के घर मेघालय को देखने की इच्छा को पूरी करने के लिए इस शिविर का आयोजन शिलांग में करते हैं। यदि आप कहें कि इसके लिए सभी कोई सहयोग करते हैं तो गलत नहीं है। और बिना आर्थिक सहयोग के  यदि किया जाए तो पहली बात कि इतना व्यय आयेगा कहाँ से और दूसरी बात कि हजारों लोग आना चाहेंगे उनकी व्यवस्था कैसी हो पाएगी। हम ऐसा करने में पूरी तरह असमर्थ हैं।
अतः सभी से कुछ सहयोग लेना आवश्यक हो जाता है, इसके अतिरिक्त हमारे पास कोई विकल्प नहीं होता। उनके सहयोग से ही हम सफल हो पाते हैं। अन्यथा यह हो ही नहीं सकता है। लेखकों के सहयोग से यह शिविर उनका अपना बन जाता है। वे प्रत्यक्ष रूप से इसमें शामिल हो जाते हैं। उनका अधिकार बन जाता है इस शिविर में शामिल होने के लिए, इसमें शामिल होकर अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए। यही कारण है कि हमारे प्रतिभागी ही मुख्य अतिथि, विशेष अतिथि, मंच संचालक, कविता पढ़ने वाले, नृत्य और गायन करने वाले होते हैं। साथ ही व्यवस्था में भी अपना हाथ बँटाते हैं। एक दूसरे का ध्यान रखते हैं। परस्पर सहयोग से यह शिविर सफल होता है और प्रतिभागियों को जो आनन्द मिलता है उसका आभास मुझे भी होता है तब मुझे आत्म-संतुष्टि मिलती है। आपका सहयोग और समर्थन ही इस शिविर की सफलता और सार्थकता है।
जय हिंद, जय हिंदी, जय नागरी, खूबलेई, मिथेला।
(डा अकेलाभाइ)