और मेरी कविता
पराई हो गई।
एक-एक अक्षर को मिलाकर
शब्द बनाया
एक-एक शब्द को जोड़कर
वाक्य बनाया
फिर एक-एक वाक्य
को मिलाकर
एक कविता खड़ी की।
छन्द, अलंकार और
शब्दशक्तियों से
उसका रूप निखारा
सौ जीएसएम के कागज
पर
डबल स्पेस देकर
कम्प्यूटर से टाइप
करवाया
कविता को प्रकाशक
मिला
प्रकाशित हुई मेरी
कविता
लोगों ने पढ़ी और
प्रतिक्रियाएं भेजी
आज कविता जवान हो
गयी
कई युवा उसे चाहने
लगे
अपनी-अपनी
पत्रिकाओं में
फिर से छापने के
लिए
व्याकुल हो गये ।
क्योंकि पचास
वर्षों के बाद
मेरी कॉपीराइट
समाप्त हो गयी
और मेरी कविता
पराई बन गयी।
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