Wednesday, June 21, 2017

त्रि-दिवसीय राष्ट्रीय हिंदी विकास सम्मेलन 2017 का भव्य आयोजन

शिलांग (मेघालय) में त्रि-दिवसीय राष्ट्रीय हिंदी विकास सम्मेलन का भव्य आयोजन
पूर्वोत्तर भारत में नागरी लिपि एवं राष्ट्रीय भाषाओं के
विकास में जुटी है पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी
उत्तर पूर्वी परिषद, शिलांग के सहयोग से पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी के द्वारा दिनांक 26 मई 2017 से 28 मई 2017 तक श्री राजस्थान विश्राम भवन, लुकियर रोड, गाड़ीखाना, शिलांग में पूर्वोत्तर भारत में राष्ट्रीय भाषाओं एवं नागरी लिपि के प्रोन्नयन विषय पर त्रि- दिवसीय राष्ट्रीय हिंदी विकास सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। इस तरह का आयोजन अकादमी द्वारा प्रतिवर्ष मई-जून महीने में सन् 2008 से किया जा रहा है। इसके पूर्व 2002 में भी अखिल भारतीय लेखक शिविर का आयोजन इस अकादमी द्वारा किया गया था। यह अकादमी अब तक 200 से अधिक समारोहों का सफल आयोजन कर चुकी  है।
उद्घाटन सत्र
दिनांक 26 मई को दोपहर 3.00 बजे इस सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि श्री शंकरलाल जी गोयनका, समाजसेवी तथा जीवनराम मुंगी देवी पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी, कहानी लेखन महाविद्यालय की निदेशिका वं शुभ तारिका के संपादक श्रीमती उर्मि कृष्ण ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस सत्र में मुख्य अतिथि के अतिरिक्त अति विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तर पूर्वी परिषद, शिलांग के जन संपर्क विभाग के निदेशक श्री मानस रंजन महापात्र, विशिष्ट अतिथि के रूप में महावीर जन कल्याण निधि ट्रस्ट के निदेशक श्री किशन जी टिबरीवाल, स्थानीय समाजसेवी एवं अकादमी के संरक्षक श्री पुरुषोत्तम दास जी चोखानी, पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी के अध्यक्ष श्री बिमल बजाज मंच पर उपस्थित थे। इस सत्र को दौरान अकादमी द्वारा प्रकाशित पत्रिका पूर्वोत्तर वार्ता एवं कहानी लेखन महाविद्यालय, अंबाला छावनी द्वारा प्रकाशित शुभ तारिका के डा. महाराज कृष्ण जैन विशेषांक सहित साहित्य समीर दस्तक मासिक भोपाल, प्रणाम पर्यटन मासिक, लखनऊ, और ट्रू मीडिया मासिक दिल्ली का लोकार्पण मंचस्थ अतिथियों ने किया। पत्र-पत्रिकाओं के अतिरिक्त पुस्तकों का लोकार्पण भी इस सत्र का मुख्य आकर्षण था। इस सत्र में वह लड़की, कहानी संग्रह, लेखक- पंकज शर्मा, प्रकाशक- अंकुर प्रकाशन, दिल्ली, प्रथम संस्करण 2017, श्रीमती प्रेमलता ठाकपर की दो काव्य संग्रह, तलाश जारी है और नया आकाश, डी. एम. सावित्री की पुस्तक अभी जिन्दगी बाकी है, राजुकुमार जैन राजन की पुस्तक का असमीया अनुवाद मनर जयेइ जय, रतन लाल मिनारिया का उपन्यास पुनर्विवाह, नीलम सिंह का लघु कथा संग्रह खाली हाथ, महावीर रवांल्टा का बाल कविता संग्रह सफलता का शिखर का लोकार्पण किया गया। इस सत्र में राजकुमार जैन राजन फाउंडेशन, आकोला, चित्तौड़गढ़ की ओर से इंदिरा देवी हिंगड़ स्मृति सम्मान 2017 श्रीमती उर्मि कृष्ण को और अम्बालाल हिंगड़ स्मृति सम्मान डा. अकेलाभाइ को हिंदी सेवा के लिए प्रदान किया गया। इस सत्र का सफल संचालन किया इंदौर की सुप्रसिद्ध रचनाकार श्रीमती अन्तरा करवड़े ने। इस समारोह का शुभारंभ श्रीमती जयमति नार्जरी और श्री दिनेश चन्द्र प्रसाद दिनेश द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना और भजन के साथ हुआ। श्री बिमल बजाज ने सभी अतिथियों, लेखकों, प्रतिभागियों का स्वागत किया।  श्री पंकज शर्मा, लघु कथाकार, अंबाला छावनी ने बीज भाषण के द्वारा इस समारोह के विषय में विस्तृत जानकारी दी। इस सत्र में सभी मंचस्थ अतिथियों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये। इस सत्र के दौरान श्री मानस रंजन महापात्र, श्री श्रीकिशन टिबरीवाल तथा श्री शंकर लाल जी गोयनका को अकादमी शिखर सम्मान से विभूषित किया गया।  इस सत्र का समापन अकादमी के सचिव डा. अकेलाभाइ के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
काव्य संध्या
शाम 6-30 बजे से काव्य संध्या का आयोजन पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी के संस्थापक सचिव डा. अकेलाभाइ की अध्यक्षता में किया गया। जिसमें विभिन्न भाषाओं के कवियों ने अपनी स्वरचित कविताओं का पाठ किया। इस सत्र का संचालन श्रीमती कीर्ति श्रीवास्तव (भोपाल), श्री राजकुमार जैन राजन (आकोला), डा. रवि शर्मा मधुप, दिल्ली, श्रीमती मंजू पाण्डे उदिता, उत्तराखण्ड, श्री यशपाल सिंह चौहान, असम, श्री राजेश कुमार शर्मा पुरोहित और डा. अरविन्द श्रीवास्तव, म. प्र ने किया। देश के 15 राज्यों के सर्वश्री श्री शान्ति कुमार स्याल, नोएडा, श्री बिमल जी बजाज, श्रीमती जयश्री शर्मा असम, श्रीमती संतोष मोदी स्मिता, असम, गुरुजी रमेश चन्द कौशिक, पानीपत, श्रीमती रुनू बरुवा, असम, श्रीमती रोजी देवी भुईंया, आसाम, डा. उषा रानी, बेंगलूरु, श्रीमती विद्या निर्गुडकर, म. प्र., श्री राजेश कुमार शर्मा पुरोहित, राजस्थान, श्रीमती डी. एम. सावित्री, अण्डमान, डा. तूलिका सेठ, गाजियाबाद, उ. प्र., श्री महाबीर रवांल्टा, उत्तराखण्ड, डा. किश्वर सुल्ताना, उ. प्र., श्रीमती शान्ता कर्णे, म. प्र., श्रीमती सरिता गुप्ता, दिल्ली, श्री हरिशचन्द्र त्रिपाठी हरीश, उ. प्र., श्रीमती प्रतिभा श्रीवास्तव, म. प्र., श्रीमती कृष्णा शर्मा दामिनी, उ. प्र., श्रीमती वाणी बरठाकुर, असम, श्रीमती विद्या आर, कुंदरगी, धारवाड़, श्री जानमोहम्मद, मेघालय, श्रीमती विमला शर्मा, असम, डा. अनिता रानी भारद्वाज, चरखी दादरी, डा. रमेश कटारिया पारस, म. प्र., श्री दिनेश चन्द्र प्रसाद दीनेश, प. बं., श्री कुशलेन्द्र श्रीवास्तव, म. प्र., श्रीमती प्रेमलता ठाकुर, झारखण्ड, श्रीमती नीलम सिंह, उ. प्र., श्रीमती प्रतिभा प्रसाद, झारखण्ड, श्रीमती अन्तरा करवड़े, इन्दौर, सौ. प्रतिभा देशपांडे, म. प्र., गुरुजी विजय आर्य स्नेही, म. प्र., श्री रामचरण यादव, म. प्र., डा. सुधा शर्मा पुष्प, दिल्ली, श्रीमती मधु शंखधर, उ. प्र., श्रीमती मल्लेश नडुविनमनी, धारवाड़, श्री सुरजीत मान जलईया सिंह, उ. प्र., श्रीमती शालिनी खरे, मध्य प्रदेश, श्रीमती दीपिका सुतोदिया सखी, असम, श्रीमती सरोजिनी मोहन  भद्रापुर, श्रीमती  सरोजा अश्विन लोडाया, महाराष्ट्र, श्री रतनलाल शर्मा मेनारिया नीर, राजस्थान, श्री अशोक खत्री, राजस्थान, श्री पंकज शर्मा, अंबाला छावनी, श्रीमती ममता गिनोरिया, असम, श्रीमती सुस्मिता दास , मेघालय, श्रीमती मञ्जु लामा, मेघालय, श्रीमती रेखा भटनागर, भोपाल, श्री राजेश चौहान राज, उज्जैन, डा. लता अग्रवाल, भोपाल, श्री सौमित्रम, गुवाहाटी, श्री रवीन्द साह, गुवाहाटी और श्रीमती कमलेश चौधरी, कुरुक्षेत्र, कुल 63 कवियों ने अपनी-अपनी स्वरचित कविताओं का पाठ किया। इस काव्य संध्या में कुल 5 सत्र थे तथा समस्त कवियों को मंच प्रदान किया गया और उन्हें गामोछा (खदा) पहना कर सम्मानित भी किया गया।  आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डा. अकेलाभाइ ने किया। सुश्री बबीता जैन और मंजु लामा ने सभी कवियों का स्वागत गमोछा (खदा) पहना कर मंच पर सम्मानित किया।
राष्ट्रीय संगोष्ठी
दिनांक 27 मई 2017 को पूर्वाह्न 11.00 बजे से डा. अकेलाभाइ ने गद्य लेखन पर अपना सारगर्भित सुझाव देकर लेखकों को प्रोत्साहित किया। अकेलाभाइ ने लेखकी तकनीक संबंधी जानकारी दी साथ ही अपने अनुभव से लेखकों का मार्गदर्शन किया।वरिष्ठ साहित्यकार एवं हिंदी सेवी, डा. किस्वर सुल्ताना, रामपुर, उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता में पूर्वोत्तर भारत में राष्ट्रीय भाषाओं और नागरी लिपि का प्रोन्नयन विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आये 14 विशेषज्ञों ने अपने-अपने आलेख पढ़े। इस सत्र का सफल संचालन डा. उषा रानी, बैंगलुरु ने किया। इस संत्र के लिए डा. अकेलाभाइ ने आभार व्यक्त किया।
अखिल भारतीय लेखक सम्मान समारोह
दोपहर 3-00 बजे से अखिल भारतीय लेखक सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि श्री ओमप्रकाश अग्रवाल, समाज सेवी, शिलांग तथा विशिष्ट अतिथि रूप के रूप में श्री मानस रंजन महापात्रा, निदेशक (आईपीआर), उत्तर-पूर्वी परिषद्, शिलांग, .शपाल सिंह चौहान, समादेष्टा, सीमा सुरक्षा बल, करीमगंज, असम, अकादमी के अध्यक्ष श्री बिमल बजाज एवं कहानी लेखन महाविद्यालय के निदेशिका तथा शुभ तारिका की संपादिका श्रीमती उर्मि कृष्ण मंच पर उपस्थित थे। इस सत्र का सफल संचालन डॉ. अरुणा उपाध्याय ने किया। श्रीमती रुनू बरुवा, जोरहाट (असम), श्रीमती जयश्री शर्मा, जोरहाट (असम), श्रीमती ममता गिनोड़िया, जोरहाट (असम), श्रीमती बिमला शर्मा, जोरहाट (असम), श्रीमती संतोष मोदी, जोरहाट (असम), श्री गुरुजी रमेश चन्द्र कौशिक, भिवानी (हरियाणा), श्री शांति कुमार स्याल, नोएडा (उत्तर प्रदेश), श्रीमती प्रेमलता ठाकुर, जमशेदपुर (झारखण्ड), श्रीमती प्रतिभा प्रसाद, जमशेदपुर (झारखण्ड), डॉ. सुनील कुमार, देवरिया (उत्तर प्रदेश), डॉ. सुयोग पाण्डेय, इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश), श्री ब्रजेश कुमार शंखधर, इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश), श्रीमती आशा पाण्डेय, इलाहाबाद (उ. प्र.), श्रीमती निशिगन्धा (निशि सेठ), वसंतकुंज (नई दिल्ली), डॉ. रमेश कटारिया पारस, ग्वालियर (म. प्र.), श्रीमती विद्या निर्गुडकर, बेतूल (मय प्र.), श्री दिनेश चन्द्र प्रसाद दीनेश, कोलकाता (पश्चिम बंगाल), डॉ. रंजना गौड़, फैजाबाद (उ. प्र.), डॉ. प्रेमलता द्विवेदी, आजमगढ़ (उ. प्र.), श्री राजेश कुमार शर्मा पुरोहित, झालावाड़ (राजस्थान), श्री जितेन्द्र वीर कालरा, कालका जी (दिल्ली), श्री कुशलेन्द्र श्रीवास्तव, नरसिंहपुर (म. प्र.), श्रीमती कमला सिंह जीनत, कालका जी (दिल्ली), डॉ. उषा रानी, बेंगलूरु, श्रीमती डी. एम. सावित्री, पोर्ट ब्लेयर (अण्डमान), डॉ. सुशीला सिंह, लखीमपुर खीरी (उ. प्र.), श्रीमती नीलम सिंह, शाहजहांपुर (उ. प्र.), श्रीमती शिप्रा खरे, खीरी (उ. प्र.), डॉ. तूलिका सेठ, गाजियाबाद (उ. प्र.), डॉ. विद्या सागर मिश्र, लखनऊ (उ. प्र.),डॉ. अरविन्द श्रीवास्तव, दतिया (म. प्र.), श्रीमती राजबाला राज, हिसार (हरियाणा), डॉ. अरविन्द जैन, भोपाल, (म. प्र.), श्रीमती प्रतिभा देशपांडे, बेतूल (म. प्र.), डॉ. किश्वर सुल्ताना, रामपुर (उ. प्र.), श्री प्रदीप श्रीवास्तव, लखनऊ (उ. प्र.), श्री गुरु जी विजय आर्य स्नेही, बैतूल (उ. प्र.), श्री रामचरण यादव, बैतूल (उ. प्र.), श्रीमती शान्ता कर्णे, बैतूल (म. प्र.), डॉ. रवि शर्मा मधुप, रानी बाग़ (दिल्ली), श्रीमती मधु शंखधर, इलाहाबाद (उ. प्र.), डॉ. अरुणा, रायचुर (कर्नाटक), श्रीमती मिनोति सेनापति, कर्विएंगलांग (असम), श्री शैलेन्द्र खरे, भोपाल (म. प्र.), श्रीमती प्रतिभा श्रीवास्तव, भोपाल (म. प्र.), श्री सुरजीत मान जलईया सिंह, हाथरस (उ. प्र.), श्रीमती कृष्णा शर्मा दामिनी, फरीदाबाद (हरियाणा), श्रीमती शालिनी खरे, भोपाल (म. प्र.), श्रीमती वाणी बरठाकुर, शोणितपुर (असम), डॉ. रेखा भटनागर, भोपाल, (म. प्र.), श्रीमती आशागंगा प्रमोद शिरढोणकर, उज्जैन (म. प्र.), श्रीमती कोमल वाधवानी प्रेरणा, उज्जैन (म. प्र.), श्री बृज मोहन, झाँसी (उ. प्र.), डॉ. मंजू पाण्डे उदिता, नैनीताल (उत्तराखण्ड), डॉ. आपरे रमाकांत शरंगधर, जालना (महाराष्ट्र), श्रीमती दीपिका सुतोदिया सखी, गुवाहाटी (असम), श्रीमती लता अग्रवाल, भोपाल (म. प्र.), श्रीमती विद्या आर. कुन्दरगी, धारवाड़, डा. रेखा द्विवेदी, नई दिल्ली, श्रीमती सरोजिनी एम. भद्रापुर, पूना (महाराष्ट्र), डॉ. जी. एस. सरोजा, शिवामोग्गा (कर्नाटक), श्रीमती रंजना अवस्थी, कानपुर (उ. प्र.), श्री रतनलाल शर्मा (मेनारिया) नीर, चित्तौरगढ़ (राजस्थान), डॉ. रसिक किशोर सिंह नीरज, बाँदा (उ. प्र.), श्री हरिशचन्द्र त्रिपाठी हरीश, रायबरेली, (उ. प्र.), श्री अशोक खत्री, भरतपुर (राजस्थान), डॉ. सुधा शर्मा पुष्प, रानी बाग़ (दिल्ली) , श्री रवीन्द्र साह, गुवाहाटी (असम), श्रीमती प्रेमा एम. नदुविनमनि, धारवाड़  एवं श्रीमती शैलबाला महापात्र, उड़िसा को उनके समस्त लेखन एवं साहित्यधर्मिता के लिए डा. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान प्रदान किया गया। इस वर्ष का केशरदेव गिनिया देवी बजाज स्मृति सम्मान डॉ. पठान रहीम खान, हैदराबाद (तैलंगाना), डॉ. अनीता रानी भारद्वाज, भिवानी (हरियाणा), श्री मदन मोहन शंखधर, इलाहाबाद (उ. प्र.), श्री विजय प्रताप श्रीवास्तव देवरिया (उत्तर प्रदेश), डॉ. सारिका कालरा, कालका जी (दिल्ली), श्री महावीर रवांल्टा, उत्तरकाशी, (उत्तराखण्ड), श्री बलजीत सिंह, हिसार (हरियाणा), श्रीमती सरिता गुप्ता, शाहदरा (दिल्ली), श्रीमती कमलेश चौधरी, कुरुक्षेत्र (हरियाणा), श्रीमती अंतरा करवडे, इन्दौर (म. प्र.) को हिंदी भाषा, साहित्य एवं नागरी लिपि के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया। जीवनराम मुंगी देवी गोयनका स्मृति सम्मान भारतीय संस्कृति एवं सामाजिक विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों हेतु श्रीमती जयमती नार्जारी, कारबि आंलं (असम), श्री राज कुमार जैन राजन, आकोला (राजस्थान), श्रीमती कीर्ति श्रीवास्तव, भोपाल (म. प्र.), डॉ. सरोजा अश्विन लोडाया, मुंबई (महाराष्ट्र), श्री द्वारिका प्रसाद राम, सिवान (बिहार), डा. ओमप्रकाश पाण्डेय, सिलीगुड़ी (पं. बं.), श्री जान मोहमम्द, गोपालगंज, श्री सतीश कुमार, शिलांग, श्री यशपाल सिंह चौहान, समादेष्टा, सीमा सुरक्षा बल, करीमगंज, असम को प्रदान किया गया। अकादमी शिखर सम्मान 2017, श्री मानस रंजन महापात्र, शिलांग (मेघालय), श्री शंकरलाल जी गोयनका, गुवाहाटी (असम), श्री पुरुषोत्तम दास चोखानी, शिलांग (मेघालय) और श्री ओमप्रकाश अग्रवाल, शिलांग (मेघालय) को जीवन भर की उपलब्धियों  एवं सामाजिक विकास में विशेष योगदान के लिए प्रदान किया गया।
सांस्कृतिक संध्या
सायं 6-30 बजे से सांस्कृतिक संध्या का सफल संचालन श्रीमती कीर्ति श्रीवास्तव एवं कृष्णा शर्मा दामिनी ने किया। इस सत्र के मुख्य अतिथि थे श्री गुरुजी रमेश चन्द्र कौशिक, भिवानी 9हरियाणा)। इस नृत्य एवं संगीत समागम में, असम प्रदेश का लोकप्रिय बिहु लोक नृत्य, बागरुम्बा लोक नृत्य, आधुनिक गीतों पर आधारित नृत्य, असमीया लोकगीत, भजन, आधुनिक गीत आदि विभिन्न कलाकारों ने प्रस्तुत किया। इस संगीत और नृत्य के रंगारंग कार्यक्रम में श्रीमती जयमती नार्जारी, श्री मिनोती सेनापति, कुमारी आस्था झा, सुरजीत सिंह, सुरम्या शर्मा, वाणी बरठाकुर, पंकज शर्मा, डा. तूलिका सेठ, दीपिका सुतोदिया, प्रेमा मल्लेश नडुविनमनी, पायल श्रीवास्तव, आशा पुरकायस्थ आदि कलाकारों का सराहनीय योगदान रहा। इन सभी कलाकारों को अकादमी की ओर से मुख्य अतिथि ने मेडल एवं स्मृति चिह्न प्रदान किया।
पर्यटन एवं वनभोज
रविवार 28 मई 2017 को कुल प्रतिभागी लेखकों ने बस द्वारा मतिलांग पार्क, मौसमाई गुफा, थांगखरांग पार्क आदि स्थानों  का भ्रमण किया। बस का सफर काफी मनोरंजक था। प्रतिभागियों ने रास्ते भर गीत और संगीत से इस यात्रा को सुखद और मनोरंजन-पूर्ण बना दिया। जिन लोगों ने पहली बार इस सम्मेलन में आये उनके लिए यह पर्यटन कौतूहल भरा था और सभी अपने-अपने कैमरे में क़ैद करने की कोशिश कर रहे थे। दोपहर के भोजन का आनंद सभी लेखकों ने थांगख्राँग पार्क में लिया।  इस तरह चेरापूँजी की बांगला देश की सीमा देखने का आनन्द भी लेखको ने खूब उठाया।
आभार
इस सम्मेलन के आयोजन में उत्तर-पूर्वी परिषद्, केशरदेव गिनिया देवी बजाज चैरिटेबुल ट्रस्ट, जीवनराम मुंगी देवी गोयनका पब्लिक चैरिटेबुल ट्रस्ट, महाबीर जनकल्याण निधि, मेसर्स केशरीचंद जयसुखलाल, मेसर्स सीताराम ओमप्रकाश, राजकुमार जैन राजन फाउण्डेशन, स्टार सिमेन्ट, अजमेरा मार्बल्स, कहानी लेखन महाविद्यालय, असम राइफल्स महानिदेशालय, सीमा सुरक्षा बल, श्री मारवाड़ी पंचायत, डा अकेलाभाइ प्रोग्रेसिव फाउंडेशन आदि संस्थाओं के सहयोग और समर्थन के लिए आयोजन समिति ने आभार प्रकट करते हुए अपनी कृतज्ञता व्यक्त की।


*********(नोट- यह आलेख प्रकाशनार्थ आयोजन समिति द्वारा जारी किया गया । संपादक बंधु इसे उचित स्थान देकर हमें आभार प्रकट करने का अवसर दें ।)

No comments: