An Educational & Literary Institution
Sunday, July 12, 2020
संगीत नाटक अकादेमी नई दिल्ली व प्रोग्रेसिव फाउंडेशन, छाप (गोपालगंज) द्वारा
संगीत नाटक अकादेमी नई दिल्ली व प्रोग्रेसिव फाउंडेशन, छाप (गोपालगंज) द्वारा: नाट्य-कार्यशाला का आयोजनसंगीत नाटक अकादेमी, नई दिल्ली के सहयोग से डॉ......
Saturday, July 11, 2020
संगीत नाटक अकादेमी नई दिल्ली व प्रोग्रेसिव फाउंडेशन, छाप (गोपालगंज) द्वारा
संगीत नाटक अकादेमी नई दिल्ली व प्रोग्रेसिव फाउंडेशन, छाप (गोपालगंज) द्वारा: नाट्य-कार्यशाला का आयोजनसंगीत नाटक अकादेमी, नई दिल्ली के सहयोग से डॉ......
Tuesday, March 10, 2020
बिहार में मेरी रेल यात्रा का एक अनोखा अनुभव
बिहार में मेरी रेल यात्रा का एक अनोखा
अनुभव
घूमता आईना....डा. अकेलाभाइ
कुछ
बातें या सरकारी निर्णय को समझने में मुश्किल होता है। कुछ वर्षों पूर्व रेल का
आरक्षण टिकट एक माह पूर्व मिलता था। उसके बाद तीन माह पूर्व फिर चार माह पूर्व फिर
दो माह पूर्व और अब फिर 120 दिन पूर्व मिलने लगा है। बहुत कम ऐसे यात्री हैं जो
120 दिन पूर्व कहीं जाने की यात्रा तय कर लेते हैं। अब यह समझ में नहीं आता है कि
यदि रेल विभाग 60 दिन या 30 दिन पहले आरक्षण देने लगे तो क्या हानि होगी। 120 दिन पूर्व टिकट लेने के बाद अधिकांश
यात्रियों को टिकट रद्द कराना पड़ता है। रद्द करने पर काफी पैसा कट कर मिलता है।
इसलिए अधिकांश यात्रि तत्काल टिकट लेते हैं और अधिक किराया देते हैं। इससे रेल
विभाग को अच्छी आय होती है। रेल में सुविधाएं हो या न हों परंतु टिकट रद्द करने
तथा तत्काल टिकट कराने से रेल विभाग की आय में काफी वृद्धि हो गयी है। पहले यह सब
नहीं था। यदि एक महीना पहले से आरक्षण लेने का नियम बन जाये तो यात्रियों को काफी
लाभ मिल सकता है और वे बिना वजह टिकट रद्द कराने से बच जाएंगे। नेट, मोबाइल आदि की
सुविधा के जमाने में 120 दिन पहले आरक्षण कराने की बात मेरे समझ में नहीं आती है।
उस बार मैं भी 120 दिन पहले आरक्षण नहीं करा पाया था क्योंकि इतने दिन पहले यात्रा
करने का कार्यक्रम ही नहीं बना पाया था। जब यात्रा का कार्यक्रम निर्धारित हुआ तो
पता चला कि ए. सी. में एक भी सीट खाली नहीं है। और स्लीपर में 2 सीट खाली है। टिकट
ले लिया और यात्रा शुरू हुई। कटिहार तक सब कुछ ठीक ठाक रहा । बरौनी से आगे बढ़ने
पर स्लीपर कोच में लोकल और पासधारी यात्रियों की भीड़ बढ़ने लगी। एक सीट पर छः-सात
लोग धकिया कर बैठने लगे। कोच नम्बर 4 के एक आरक्षण टिकट रखने वाले यात्रि ने एक
युवक को बैठने नहीं दिया, क्योंकि पहले से ही उसके बर्थ पर चार लोग बैठे थे। उसके
साथ महिला यात्री थीं और एक बच्चा भी था। फिर क्या था उस युवक ने पहले उँगली
दिखाई, फिर हाथ ऊपर किया। जवाब में उस यात्री ने भी हाथ उठाया। भगवानपुर नामक
स्टेशन पर जब गाड़ी रुकी तो स्थानीय यात्री ने अपने जान पहचान के 10-12 यात्रियों
को बुला लाया और उस आरक्षित यात्री को मारने लगे। बस इतनी सी बात के लिए मामला तूल
पकड़ लिया। गाड़ी को एक घण्टे तक रोक कर रखा। फिर गाड़ी खुली। कोच 4 के सारे यात्री डर से उतर गये और कोच 3
और 5 में बैठ गये। 4 नम्बर कोच खाली होगया लेकिन वह यात्री उसी कोच में बैठा रहा।
गाड़ी खुली, स्टेशन के कुछ दूर चलने के बाद स्थानीय यात्रियों ने जंजीर खींचकर
गाड़ी को रोकवा दिया और उस यात्रि को नीचे उतारने लगे। उसे बचाने वाला कोई आगे
नहीं आ रहा था और सभी लोग उस यात्री को ही दोषी ठहरा रहे थे। भीड़ काफी जमा हो गयी
पास के गाँव के लोग भी बाँस और लाठी लेकर आगये अपने लोगों के बचाने के लिए।
गोरखपुर जाने वाला वह यात्री असहाय था। मारो...उतारो...की आवाजें आ रही थी। गाड़ी
काफी देऱ तक बीच पटरी पर रुकी रही। फिर पहले स्टेशन से कुछ रेल कर्मचारी आये।
युवकों को समझाया । गाड़ी चली। और अलगे स्टेशन पर तीन घण्टे देरी से पहुँची। सुनने
में आया कि इस तरह की घटनाएं प्रतिदिन हुआ करती है। स्लीपर कोच ही नहीं स्थानीय
यात्रि जो बिना टिकट के होते हैं या पासधारी होते हैं वे ए.सी. कोच में भी घुसकर
बैठ जाते हैं और दूसरे राज्यों से सफर कर रहे यात्रियों को तंग करते हैं। आश्चर्यजनक
बात तो यह है कि बिहार में जितनी दूरी तक गाड़ियाँ चलती हैं उतनी दूरी तक कोई
टीटीई आता ही नहीं है यदि आता भी है तो सभी यात्रियों का टिकट चेक नहीं करता है। दूसरी
विशेष और उल्लेखनीय बात यह है कि लगभग सभी गाड़ियाँ बिहार राज्य में घूसने के बाद
देर हो जाती हैं।
कुछ
दशक पूर्व रेल में टिकट चेकिंग खूब हुआ करती थी जिसके कारण यात्रियों को भय होता
था। आरक्षित डिब्बे में कोई भी यात्री साधारण टिकट लेकर नहीं बैठता था और साधारण
डिब्बे के यात्री भी सभी टिकट लेते थे। आज कई स्टेशन ऐसे जहाँ पर एक भी टिकट की
बिक्री नहीं होती है। जबकि चढ़ने वाले भी होते हैं और उतरने वाले भी। बातचीत करने
पर एक दैनिक यात्री ने कहा कि एक टीटीई पूरे ट्रेन की चेकिंग कैसे कर सकता है।
इसलिए यात्री इसका गलत फायदा उठाते हैं और रेलवे को घाटा होता है। अभी प्लेटफार्म
टिकट 10 रुपये का मिल रहा और सबसे कम का टिकट भी 10 रुपये का ही है। यदि ईमानदारी
से यात्री चलें तो इस विभाग को कभी नुकसान न उठाना पड़े। इंटरनेट आरक्षण के कारण
टिकट खिड़की पर काफी भीड़ कम हो गयी है, बहुत आसानी से आजकल टिकट मिल जाता है
लेकिन ट्रेन में खाली जगह हो तब न टिकट मिले। तत्काल टिकट तो 2 मिनट के बाद ही खतम
हो जाता है और आरक्षण टिकट 119 दिन पहले ही वेटिंग लिस्ट अधिकांश गाड़ियों में
दीखने लगता है। गाड़ियों की संख्या में में काफी वृद्धि हुई है लोकिन इसी अनुपात
में यात्रियों की संख्या भी बढ़ी है। सुविधाएं बढ़ी हैं तो समस्याएँ भी अधिक हुई
है। समस्याओं का अंत तो कभी नहीं हो सकता लेकिन कमी अवश्य किया जा सकता है। रेल
यात्रियों की बढ़ती समस्याओं पर अंकुश तो लगाया जा सकता है।
सीवान
स्टेशन पहुँचा। आज तो यह स्टेशन खूब चमक रहा था। सारे अधिकारी और कर्मचारी
साफ-सुथरे लिबास में दीख रहे थे। कोट और टाई में खूब आकर्षक लग रहे थे। सफाई
कर्मचारी हर 10-15 मिनट के बाद झाड़ू और
पोछा लगा रहे थे। प्रताक्षीलय तो खूब चमक रहा था। महिला प्रतीक्षालय में पर्दे लगे
थे। स्प्रे भी बार-बार छिड़का जा रहा था। मुझे कुछ समझ नहीं आया कि आज इस स्टेशन
के सभी कर्मचारी इतने सतर्क कैसे दीख रहे हैं। शौचालय में बाल्टी, मग, साबुन सभी
कुछ सलीके से रखा हुआ था। इससे पहले एक बार इसी सीवान स्टेशन पर आया था तो कुछ भी
ऐसा नहीं दीखा था। शौचालय के दीवारों पर यहां के अभद्र यात्रियों ने गंदी-गंदी
गालियाँ लिखी थी। जिसे मिटाने का प्रयास भी किया था परंतु उस समय तक दिखाई तो दे
ही रहा था। एक समुदाय ने दूसरे समुदाय के लिए तो दूसरे समुदाय ने पहले समुदाय के
लिए अश्लील शब्दों का प्रयोग किया था। मुझसे
रहा नहीं गया और एक अधिकारी से पूछ लिया तो पता चला कि डीआरएम साहब आने वाले हैं।
मुझे भी इतने बड़े अधिकारी से मिलने का मन किया। पर एक घण्टा हो गया अधिकारी महोदय
नहीं पहुंच पाये। सभी कर्मचारी एवं अधिकारी बार-बार अपनी घड़ी निहार रहे थे। और
लंच के लिए भी नहीं जा रहे थे कि पता नहीं कब साबह स स्टेशन पर पहुंच जाएं। तभी एक
डिब्बे वाला इंजन आता दिखाई दिया। सीढ़ी के पास वह इंजन रुका और साहब के साथ कई
अन्य अधिकारी और कर्मचारी भी नीचे उतरे। सब किसी के हाथ में एक-एक डायरी थी।
किसी-किसी के हाथ में नोट पैड था। साबह अच्छे सूट में बड़ी तन्मयता से चल रहे थे
और सब जगह का मुआयना कर रहे थे। साहब से मैंने मिलने की अनुमति यहाँ के स्टेशन
मास्टर से माँगी तो उन्होंने मना कर दिया। परंतु मैं भी इस काफिला में शामिल होकर
वहाँ की गततिविधियों को देखने लगा। पता नही क्यों महिला प्रतिक्षालय में दो बार
मुआयना हुआ। जहां पर सिर्फ एक ही महिला यात्री नकाब पहने बैठी थी। शायद इस प्रतीक्षालय
को और बेहतर बनाने के लिए डीआरएम साहब हिदायत दे रहे थे। लगभग आधे घण्टे के बाद मैं देख रहा हूँ कि
प्रतिक्षालय के पर्दे खुलने लगे और बाकी सब सजावट की चीजें भी हटा ली गयी क्योंकि
साहब अब सीवान स्टेशन से प्रस्थान कर चुके थे। आज मैं सोच रहा हूँ कि यह सारी
सुविधाएं रेल यात्रियों के लिए हैं या रेलवे अधिकारियों को दिखाने के लिए...........
--सचिव, पूर्वोत्तर हिंदी
अकादमी
पो. रिन्जा, शिलांग (मेघालय)
मोबाइल- 09436117260
शिलांग में आयोजित लेखक मिलन एवं पर्यटक शिविर में शामिल होने वाले मित्रों सूची---*
*शिलांग में आयोजित लेखक मिलन एवं पर्यटक
शिविर में शामिल होने वाले मित्रों सूची---*
*आमंत्रित अतिथि*
1.
श्री पी. पी. श्रीवास्तव, आईपीएस, नई दिल्ली/101
2.
श्री ए. के. माथुर, आईपीएस, नई दिल्ली/102
3.
डा. क्षीरदा कुमा शईकीया, मंत्रि, असम राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, असम/103
4.
श्री अवतार सिंह शाही, उप महानिरीक्षक, सीमा सुरक्षा बल, शिलांग/104
5.
श्री बिमल बजाज, सामाजिक कार्यकर्ता, शिलांग/105
6.
श्री शंकरलाल जी गोयनका, फिल्म निर्माता, गुवाहाटी/106
7.
श्री ओमप्रकाश अग्रवाल, सामाजिक कार्यकर्ता, शिलांग/107
8.
श्री कुंज बिहारी अजमेरा, संरक्षक, शिलांग/108
9.
श्री सत्यनारायण बेरीवाल, समाज सेवी,
लाबान, शिलांग/109
10.
श्रीमती आशा पुरकायस्थ, शिलांग/109
11.
डा. मंजु लामा, शिलांग/110
12.
डा. अरुणा उपाध्याय, शिलांग/111
13.
श्री आलोक सिंह, नेहू, शिलांग/112
14.
श्री विवेकानंद पंडित, शिलांग/113
15.
श्री योगेश दुबे, पत्रकार, सिलचर/114
16.
श्री अजयेन्द्रनाथ त्रिपाठी, मुख्य प्रबंधक, राजभाषा विभाग, गुवाहाटी/115
17.
श्रीमती ममता साहा. शिलांग/116
18.
कुमारी प्रियंका राज सिंह, शालंग/117
19.
श्री राजू शर्मा, पत्रकार, शिलांग/118
20.
श्री पी.डी. चोखानी, संरक्षक, शिलांग/119
21.
श्री किशन टिबरीवाला, संरक्षक, शिलांग/120
22.
श्री रामावतार बजाज, संरक्षक, शिलांग/121
23.
श्री जानमोहम्मद, गोपालगंज, बिहार/122
24.
श्रीमती बबीता जैन, शिलांग/123
25.
श्री मोहन कुमार राय, डीजीएम, स्टार सिमेंट, शिलांग/124
26.
श्री सुनील कुमार, नेहू, शिलांग/125
*वाह्य आमंत्रित रचनाकार -----*
27. डा. शैल केजड़ीवाल, मुजफ्फरपुर, बिहार/01
28. श्री सौरभ वाचस्पति रेणु, मोहाली, पंजाब/02
29. प्रो. पुष्पा गुप्ता, मुजफ्फरपुर, बिहार/03
30. श्री रघुनाथ प्रसाद, मुजफ्फरपुर, बिहार/04
31. डा बिरेन्द्र कुमार दत्ता, दरभंगा, बिहार/05
32. डा मीना कुमारी परिहार, पटना, बिहार/06
33. श्री प्रभात कुमार, पटना, बिहार/07
34. डा. नीलिमा वर्मा, मुजफ्फरपुर, बिहार/08
35. सुश्री सरस्वती कुमारी, ईटानगर, अरुणाचल
प्रदेश/09
36. सुश्री ममता शर्मा अंचल, अलवर, राजस्थान/10
37. डॉ. आरती कुमारी, मुज़फ्फ़रपुर, बिहार/11
38. कुमारी आस्था दीपाली, नई दिल्ली/12
39. श्री कुमार गौरव, मुजफ्फरपुर, बिहार/13
40. डा. रचना निगम, संपादक नारी अस्मिता,
बडोडरा, गुजरात/14
41. श्रीमती तूलिका श्री, बडोडरा, गुजरात/15
42. श्रीमती नीलम नारंग, हिसार, हरियाणा/16
43. श्री दिलशेर दिल, दतिया, म. प्र./17
44. श्री विनय कुमार, न्यू बंगाईगाँव, असम/18
45. श्रीमती रितु कुमारी गुप्ता, न्यू बंगाईगाँव,
असम/19
46. श्री संजय एस. बर्वे, नागपुर, महाराष्ट्र/20
47. डा. बालकृष्ण महाजन, नागपुर, महाराष्ट्र/21
48. श्री बिनोद कुमार ‘हँसौड़ा’,
दरभंगा, बिहार/22
49. श्रीमती संपत देवी मुरारका, हैदराबाद,
तेलंगाना/23
50. श्री राजेश मुरारका, हैदराबाद, तेलंगाना/24
51. कुमारी अंकिता सिंहा, जमशेदपुर, झारखण्ड/25
52. श्री अनिल देवनारायण चतुर्वेदी, मुंबई,
महाराष्ट्र/26
53. श्री समराज चौहान, कार्बी आंग्लांग, असम/27
54. डा. शालिनी शुक्ला, गोण्डा, उत्तर प्रदेश/28
55. डा ब्रजलता शर्मा, नोएडा, उ. प्र./29
56. श्री रमेश चन्द्र शर्मा, नोएडा, उ. प्र./30
57. श्री शांति कुमार स्याल, नोएडा/31
58. श्री परमहंस तिवारी, वाराणसी, उ. प्र./32
59. श्रीमती रेखा तिवारी, वाराणसी, उ. प्र./33
60. डा. प्रदीप सुमनाक्षर, दिल्ली/34
61. श्री लाजपत राय गर्ग, पंचकूला, हरियाणा/35
62. श्री ज्ञानप्रकाश पीयूष, सिरसा, हरियाणा/36
63. श्रीमती ज्योत्स्ना प्रवाह, वाराणसी, उ.
प्र./37
64. सुश्री खुश्बू सिंह, वाराणसी, उ. प्र./38
65. श्री मनोज मोदी, तिनसुकिया, असम/39
66. डा. रघुनाथ पाण्डेय, गोण्डा, उ. प्र./40
67. श्री दिनेश चन्द्र प्रसाद दीनेश, कोलकता, प.
बं./41
68. श्री सीताराम, कोलकता, प. बं./42
69. श्री ब्रजकिशोर पाण्डेय, कोलकता, प. बं./43
70. श्री सपन नस्कर, कोलकता, प. बं./44
71. श्री दिनेश कुमार त्रिपाठी, भीलवाड़ा,
राजस्थान/45
72. श्रीमती सावित्री शर्मा, भीलवाड़ा,
राजस्थान/46
73. श्री शानु सौरभ दाधीच, भीलवाड़ा,
राजस्थान/47
74. श्रीमती पूनम ओझा, भीलवाड़ा, राजस्थान/48
75. श्री अजय शर्मा, चेन्नई/49
76. श्रीमती हिना दाधीच. चेन्नई/50
77. श्री राघवेन्द्र दुबे, इन्दौर, म. प्र./51
78. श्रीमती ज्योति दुबे, इन्दौर, म. प्र./52
79. श्रीमती संतोष गर्ग, चण्डीगढ़/53
80. डॉ. अंबुजा एन्. मलखेडकर, कर्नाटक/54
81. डा रामधीरज शुक्ला, प्रयागराज, उ. प्र./55
82. डा. दिलीप कुमार अवस्थी, प्रयागराज, उ.
प्र./56
83. श्री ऐनुल बरौलवी, गोपालगंज, बिहार/57
84. मो. नसीम अख्तर, पटना/58
85. डा. पूनम गुप्त, पटियाला, पंजाब/59
86. कुमारी स्मृति, पटना, बिहार/60
87. सुश्री अनिला विनर्वे, पटना, बिहार/61
88. श्री दिलीप कुमार, मुजफ्फरपुर, बिहार/62
89. डा. किंग गुनु घर्ती, आईजॉल, मिजोरम/63
90. श्री जय प्रकाश मिश्र, पश्चिमी मुंबई/64
91. श्री विजय कुमार, अंबाला छावनी, हरियाणा/65
92. सुश्री उर्मि कृष्ण, संपादक शुभ तारिका,
अंबाला छावनी/66
93. श्री पंकज शर्मा, अंबाला शहर, हरियाणा/67
94. श्री देवचंद ‘मस्ताना’, पिंजौर, पंचकूला/68
95. श्रीमती कमलेश चौधरी, बाबैन, कुरुक्षेत्र,
हरियाणा/69
96. श्री कुलदीप सिंह, कुरुक्षेत्र, हरियाणा/70
97. डॉ. विजय प्रताप श्रीवास्तव, देवरिया, उ.
प्र./71
98. डॉ. सुनील कुमार, प्रयागराज, उ. प्र./72
99. श्री मदन मोहन शंखधर, प्रयागराज, उ. प्र./73
100.
श्रीमती
रंजना कृष्णदेव दुबे, मुंबई/74
101.
श्रीमती
उषा श्रीवास्तव, मुज़फ्फ़रपुर/75
102.
श्रीमती
सुवर्णा अशोक जाधव, मुंबई/76
103.
श्री
अशोक जाधव, मुंबई/77
104.
श्रीमती
स्वाति चौहान, कोटा, राजस्थान/78
105.
सुश्री
आराध्या चौहान, कोटा, राजस्थान/79
106.
श्रीमती
अनिता भाणावत जैन, उदयपुर/80
107.
श्री
विजय भाणावत जैन, उदयपुर/81
Aims & Objectives of Purvottar Hindi Academy, Shillong
Aims & Objectives of Purvottar
Hindi Academy, Shillong
- To promote
Hindi language, literature and Nagari script in the North Eastern Region.
- To take up
specific activities for the welfare of non-Hindi speaking people and
educate them in the field of Modern Indian languages, literature, art
& culture through Hindi language.
- To promote
the innate feeling of the non-Hindi speaking people for promotion of Hindi
language, literature, art & culture in the North-eastern region.
- Publication
of books, periodicals, translation in Hindi from literature of other
Indian languages. (i.e. Khasi, Garo, Assamese, Boro, Manipuri, Bengali
etc.)
- To bring all
the people of the Indian National at the single platform with its
multilingual literary works and other activities.
- To develop
the sense of brotherhood and equality in the minds of the people.
- To affiliate
with other organization (Non-Political) having similar aims &
objectives.
- To give
platform for new talents in the field of Hindi language, art and culture.
- To
felicitate senior citizens working in the field of Hindi language &
literature for their achievements.
Target
Group
- Non-Hindi
speaking people of the North-Eastern Region.
- Students and
Teachers of the various Schools, Colleges and University.
- Research
Scholars and Academicians at various labels.
- All the
people associated with the development of Rajbhasha Hindi, Hindi Officers,
Hindi Translators and Hindi Typists of Central Government Offices.
- Hindi
writers & Journalists from all over India.
Conclusion
This Conference is being organized for
creating a conductive environment towards a proper working culture in various
Central Government offices in our very own official language Hindi and will
have varied beneficial effects on the local literary atmosphere. The
efforts will be on favor the academy for the further acceptance of Rajbhasha
Hindi as well as other Indian Languages by the local people of North-Eastern
Region.
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